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ज़ुबेर और नुपूर ,हमारी आहत धार्मिक भावनाएं या और कुछ!

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सुसंस्कृति परिहार

अभी जुम्मा जुम्मा चंद्र रोज़ ही हुए होंगे जब मोहम्मद पैगंबर साहब पर अशोभनीय टिप्पणी ने देश ही नहीं विदेशी मुसलमानों को इतना उत्तेजित किया कि प्रधानमंत्री जी को हस्तक्षेप करना पड़ा । उन्हें भाजपा प्रवक्ता पद से हटाया गया लेकिन उनकी गिरफ्तारी आज तक नहीं हो पाई। दूसरी ओर जुबेर हैं जिन्हें 2018के जिस मामले में गिरफ्तार किया है वह श्रृषिकेश मुखर्जी जी 1983में बनी फिल्म किसी से ना कहना के एक दृश्य से सम्बंधित है।

2018 में मोहम्मद जुबैर ने अपने ट्विटर पर एक तस्वीर शेयर की। इस तस्वीर में ‘हनुमान होटल’ लिखा हुआ था. जुबैर ने जो तस्वीर शेयर की थी, वो असल में 1983 में आई ऋषिकेश मुखर्जी की फिल्म किसी से न कहना का स्क्रीन ग्रैब थी।इस तस्वीर को शेयर करते हुए जुबैर ने लिखा था, ‘2014 से पहले: हनीमून होटल. 2014 के बाद: हनुमान होटल.’ जुबैर के इस ट्वीट पर @balajikijain नाम के ट्विटर हैंडल से आपत्ति जताई गई थी. @balajikijain ने खुद को हनुमान भक्त बताया है।19 जून को शिकायत करते हुए लिखा था, ‘हमारे भगवान हनुमान जी को हनीमून से जोड़ना हिंदुओं का सीधा अपमान है क्योंकि वो ब्रह्मचारी हैं. कृपया इस आदमी के खिलाफ कार्रवाई करें।’

इसी शिकायत पर 20 जून को दिल्ली पुलिस की IFSO यूनिट ने जुबैर के खिलाफ FIR दर्ज की. केस दर्ज होने के 7 दिन बाद 27 जून की शाम को जुबैर को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने गिरफ्तार कर लिया। उन्हें एक दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है।दिल्ली पुलिस की दर्ज FIR में मोहम्मद जुबैर के ट्वीट को ‘बेहद उत्तेजक’ बताया गया है. FIR में लिखा है कि मोहम्मद जुबैर ने जो तस्वीर शेयर की थी, वो बेहद उत्तेजक है और लोगों में नफरत की भावना भड़काने के लिए पर्याप्त है, जिससे शांति व्यवस्था बिगड़ सकती है. इस FIR में आगे लिखा गया है कि जुबैर ने एक विशेष समुदाय की धार्मिक भावनाओं का अपमान करने के इरादे और शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर ऐसा किया था। मोहम्मद जुबैर की परेशानी अभी और बढ़ सकती हैं, क्योंकि दिल्ली पुलिस अब फंडिंग को लेकर भी जांच कर सकती है. 

 लेकिन अब धार्मिक भावना से इतर साइबर सेल से जुड़े सूत्रों ने बताया है कि जुबैर के अकाउंट में तीन महीने में 50 लाख रुपये से ज्यादा की रकम आई है।पुलिस अब इस सारे ट्रांजेक्शन की जांच करेगी. साथ ही पता लगाया जाएगा कि ये पैसे किसने डाले हैं और इसका इस्तेमाल किसलिए किया गया?  इसके अलावा जुबैर को काफी डोनेशन भी मिला है और इसकी भी जांच की जाएगी कि ये डोनेशन किसने और किस मकसद से दिया?

अपनी वकील के जरिये जुबैर ने कोर्ट को बताया कि उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 153ए और 295 के तहत मामला दर्ज किया गया है। इनमें अधिकतम तीन वर्ष और दो वर्ष की सजा का प्रावधान है। जिस ट्वीट का जिक्र किया जा रहा है, वह 2018 का है। यह गुमनाम ट्वीट है। ट्वीट किस बारे में है? इसे समझ पाना मुश्किल है। मोहम्मद जुबैर की परेशानी अभी और बढ़ सकती हैं, क्योंकि दिल्ली पुलिस अब फंडिंग को लेकर भी जांच कर सकती है.  साइबर सेल से जुड़े सूत्रों ने बताया है कि जुबैर के अकाउंट में तीन महीने में 50 लाख रुपये से ज्यादा की रकम आई है. पुलिस अब इस सारे ट्रांजेक्शन की जांच करेगी. साथ ही पता लगाया जाएगा कि ये पैसे किसने डाले हैं और इसका इस्तेमाल किसलिए किया गया?  इसके अलावा जुबैर को काफी डोनेशन भी मिला है और इसकी भी जांच की जाएगी कि ये डोनेशन किसने और किस मकसद से दिया?

अपनी वकील के जरिये जुबैर ने कोर्ट को बताया कि उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 153ए और 295 के तहत मामला दर्ज किया गया है। इनमें अधिकतम तीन वर्ष और दो वर्ष की सजा का प्रावधान है। जिस ट्वीट का जिक्र किया जा रहा है, वह 2018 का है। यह गुमनाम ट्वीट है। ट्वीट किस बारे में है? इसे समझ पाना मुश्किल है। 

बहरहाल इस मामले में दो बातें साफ़ हैं उन्हें धार्मिक भावनाएं आहत करने के मामले में गिरफ्तार किया ज़रुर किया गया किंतु उसके पीछे आल्ट का उनका जो सच उजागर करने का काम है उसने भाजपा को हिला के रख दिया है क्योंकि सबसे ज्यादा फर्जीवाड़ा भाजपा आईटी सेल ने किए हैं और सच उजागर करने का काम जुबेर ने किया आल्ट के ज़रिए। विदित हो,2017 में जुबैर ने प्रतीक सिन्हा के साथ मिलकर ऑल्ट न्यूज को फैक्ट चेक वेबसाइट के रूप में लॉन्च किया।लगता है

झूठ का खुलासा ही उनका मुख्य अपराध है। हालांकि उन्होंने कांग्रेस को भी इस मामले में नहीं बख्शा है।एक ईमानदार पहल का ये हश्र हुआ यह आश्चर्यजनक तो नहीं किंतु अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर बड़ी चोट है। 

इसीलिएऑल्ट न्यूज के को-फाउंडर और फैक्ट चेकर मोहम्मद जुबैर की गिरफ्तारी के बाद दिल्ली पुलिस पर सवाल उठने लगे हैं. कांग्रेस, सपा समेत अन्य राजनीतिक दलों के बाद अब एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया का बयान सामने आया है। प्रेस नोट के जरिए एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने जुबैर की गिरफ्तारी की निंदा की और उनकी तत्काल रिहाई की मांग की है। विदेशों में भी इसकी कड़ी निन्दा शुरू हो गई है।

यह समझ से परे जिस तरह धार्मिक भावनाएं भड़काने के आरोप में नुपुर अब तलक आज़ाद हैं वहीं जुबेर 2018के मामले में गिरफ्तार किए गए हैं। दोनों पर एक ही धाराएं लगी है इसी तरह हमारे देश में हुई कई हिंदू धर्म सभाओं में हिंदू धर्म की रक्षार्थ खुले मंच से इतने भड़काऊ भाषण हुए ,अभी भी कतिपय प्रवचनकार धार्मिक मंचों पर ऐसे प्रवचन दे रहे हैं ।  उन पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।उन पर भी संज्ञान लेने की ज़रूरत है।यह देशहित में आज संवैधानिक रुप से बहुत ज़रूरी है।

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