अग्नि आलोक
script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

सच्ची कहानी : बेचारा मर्द!

Share

            पुष्पा गुप्ता 

सुबह-सुबह नहा धोकर काम पर जाने के लिए तैयार होते हुए
बीवी से कहा जल्दी लंच
पैक कर दो, ऑफिस के लिए देर हो रही है.
तभी बेटे ने कहा पापा मुझे कल फीस जमा करनी है.
ठीक है बेटा शाम को आकर देता हूँ.
बेटी ने कहा पापा स्कूल में फैंसी ड्रैस
कंपीटिशन है, मुझे ‘परी’ की
ड्रेस चाहिए..
ओके बेबी, शाम को लेता आऊंगा.
पिता जी बोले, बेटा मेरे चश्मे का काँच टूट गया है, इसे लगवा देना.
और तेरी माँ की आँखों के
ऑपरेशन की तारीख मिल गई है,
अस्पताल में भर्ती कराना है.
जी पिता जी मैं शाम को ऑफिस से एडवांस ले लूँगा.

जाते जाते पत्नी जी ने कहा, घर का राशन खत्म होने वाला है, किराने वाले को यह लिस्ट देते जाना, और शाम
को लेते आना.
अच्छा जी अब मैं चलता हूँ : यह कह वो घर से चल दिया.

रास्ते में स्कूटर पंचर हो गया और ऑफिस पहुचने में देर हो गई.
ऑफिस पहुचने पर बाॅस ने घड़ी की ओर देखा, और कहा आइए सर जी..
वो समझ गया देरी की वजह से बाॅस नाराज हैं.

खैर!
सोचा आज जल्दी जल्दी काम
निपटा लेता हूँ, ताकि बाॅस खुश हो जाये क्यूंकि शाम एडवांस
भी लेना है.
काम को जल्द निपटाने के चक्कर में एक गलती हो गई, बाॅस को खुश करने की जगह और नाराज हो गए.
एडवांस मांगने की हिम्मत ही
नहीं हुई.
खैर दिन बीता छुट्टी हुई.

अब घर पर क्या कहूंगा.
यह सोचकर परेशान हो गया.
तभी साथी कर्मचारी ने कहा, क्या बात है यार बहुत परेशान दिख रहे हो.
उसने सारी व्यथा अपने दोस्त को बताई, और कहा यार दिल करता है, रेल कि पटरी पर लेट जाऊं.
दोस्त ने कहा चल परेशान ना हो मेरे साथ चल.
दोनों ने शराबvपी और अपने अपने घरों की ओर चल दिए.

घर पहुंच कर उसने कहा, कि एडवांस नहीं मिल पाया.
फिर जो हुआ, अब जरा उसे भी पढिए :

बेटा माँ से: मम्मी पापा ने शराब पी पर मुझे फीस नहीं दी.
बेटी: मेरी ड्रेस नहीं लाये और शराब पी ली.
पिता: चश्मा लाने के लिए पैसे नहीं थे, और शराब के लिए थे.
माँ: भूल गया है तू, अपना पेट काट काट कर पाला था तूझे, शराब के
लिए पैसे है, माँ के लिए नही.

और अंत में पत्नी ने कहा, अब राशन की जगह हमे भी शराब ही पिला दो हम सबको.

जानने योग्य तथ्य :
पिता का चश्मा न्यूनतम 500/
माँ का ऑपरेशन 3000/-
बेटे की फीस 1700/-
बेटी की ड्रेस 1200/-
घर का राशन 5000/-
शराब जो कि दोस्त ने पिलाई 300 रूपये. ख़ुद के पैसे से पीता तो 150/- खर्चा करता.
चलो, पूरा 300 ही मान लो.
मान लो, उन्होंने ख़ुद के पैसे से पीया.
क्या इन 300 रूपयों से घर की जरूरतें पूरी हो जाती ?

एक मर्द अपने परिवार के लिए हर संभव प्रयास करता है.
उसे प्यार और सम्मान दे, उसकी मजबूरियों को समझने की कोशिश
करें.

Recent posts

script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

Follow us

Don't be shy, get in touch. We love meeting interesting people and making new friends.

प्रमुख खबरें

चर्चित खबरें