भोपालः मध्य प्रदेश की राजनीति में सीडी और पेन ड्राइव अक्सर सुर्खियां बनते हैं। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ अब भी हनी ट्रैप कांड की पेन ड्राइव अपने पास होने का दावा करते हैं, लेकिन कभी उजागर नहीं करते। उमा भारती को एमपी की राजनीति से दूर करने में अहम भूमिका निभाने वाले आरएसएस के संजय जोशी का करियर एक सीडी ने खत्म कर दिया था। साल 2013 में ऐसे ही एक सीडी ने मध्य प्रदेश की राजनीति में कोहराम मचा दिया था। इस सीडी में प्रदेश के तत्कालीन वित्त मंत्री राघवजी अपने नौकर के साथ नजर आए थे। सेक्स सीडी सामने आते ही राघवजी को मंत्री पद तो छोड़ना ही पड़ा, जेल की हवा भी खानी पड़ी और राजनीतिक करियर खत्म हो गया।
2013 के जुलाई महीने में राघवजी की 22 सेक्स सीडी एक साथ सामने आई थी। जनसंघ के जमाने से बीजेपी से जुड़े रहे राघवजी उस समय 79 साल के हो चुके थे, लेकिन सीडी में जिसने भी उन्हें देखा, हैरान हुए बिना नहीं रह सका। अलग-अलग सीडियों में वे कभी ड्रॉइंग रूम तो कभी सोफे पर और कभी फर्श पर ही अपनी इच्छाएं पूरी करते नजर आए थे। तब कहा गया था कि राजकुमार नाम के नौकर को सरकारी नौकरी का लालच देकर उन्होंने शारीरिक संबंध बनाने के लिए तैयार किया था। एक सीडी में तो वे राजकुमार को मेरी राजकुमारी संबोधित करते हुए सुनाई दे रहे थे।
जब यह सीडी सामने आई थी, उससे कई साल पहले से वे हार्ट डिसीज के शिकार थे। उनकी एंजियोप्लास्टी हो चुकी थी और स्टेंट डाला गया था। उन्हें डायबिटिज की समस्या थी। आंखों से दिखाई नहीं देता था तो एक आंख नकली लगानी पड़ी थी। लेकिन सीडी देखकर उनकी शारीरिक कमजोरियों के बारे में अंदाजा लगाना मुश्किल था। एक सीडी में तो वे कुर्सियों के बीच फर्श पर ही काम क्रीड़ा में लीन नजर आए थे।
2013 में विधानसभा चुनाव के चार महीने पहले इस सीडी से प्रदेश की राजनीति में हड़कंप मच गया था। राघवजी के व्यवहार से परेशान हो चुके राजकुमार ने 7 जुलाई को उनके खिलाफ थाने में शिकायत की थी, लेकिन इसके दो दिन पहले से ही कांग्रेस उनके इस्तीफे की मांग करने लगी थी। मुख्यमंत्री शिवराज भी उनसे इस्तीफा देने को कह रहे थे, लेकिन राघवजी तैयार नहीं थे। शिवराज ने प्रभात झा और सुंदरलाल पटवा जैसे वरिष्ठ नेताओं से गुहार लगाई। इसके बाद राघवजी को पार्टी से निकाल दिया गया और उन्हें इस्तीफा देने को मजबूर होना पड़ा।
कहा जाता है कि राघवजी की सीडी सामने लाने में बीजेपी के ही एक नेता शिव अनुराग पटेरिया ने अहम भूमिका निभाई थी। राजकुमार ने पहले राघवजी के साथ हुई बातचीत को मोबाइल में रेकॉर्ड किया था। इसके बाद पटेरिया ने उसे एक पेन कैमरा दिया। राजकुमार ने राघवजी के यहां काम करने वाले एक दूसरे नौकर के साथ मिलकर उनकी करतूतों को कैमरे में कैद कर लिया।
राघवजी के सीडी कांड में विदिशा एंगल भी काफी महत्वपूर्ण था। राघवजी विदिशा जिले के रहने वाले थे और इलाके में उनका अच्छा खासा प्रभाव था। मुख्यमंत्री बनने से पहले शिवराज भी विदिशा से ही सांसद हुआ करते थे। इन दोनों नेताओं के बीच तभी से वर्चस्व की लड़ाई चल रही थी। मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने के बाद राघवजी कई महीने तक जेल में रहे। चुनाव में उन्हें टिकट नहीं मिला। 2018 में उन्होंने अपनी बेटी के लिए टिकट मांगा, लेकिन यह मांग भी पूरी नहीं हुई।