जूली सचदेवा
ईश्वर
नहीं होता
सृष्टि के कण कण में
न तो होता है
सभी जीवों में
यहाँ तक कि
सभी इन्सानों में भी
एक सा नहीं होता
ईश्वर
ईश्वर
मुसलमानों में नहीं होता
ईसाइयों में नहीं होता
पारसियों में नहीं होता
यहूदियों में भी नहीं होता
ईश्वर होता है
सिर्फ़ हिंदुओं में
लेकिन यहाँ भी
एक बराबर नहीं
दलितों में नहीं होता
स्त्रियों में पूरी तरह नहीं
बच्चों का कोई संबंध नहीं
किसी भी ईश्वर से
ईश्वर ने बनाई है
वर्ण व्यवस्था
इसलिए
ईश्वर भी इससे बाहर नहीं
ईश्वर होता है
ब्राह्मणों में
कई बार
ब्राह्मण ही होता है ईश्वर
ईश्वर क्षत्रियों में होता है
कई ईश्वर क्षत्रिय ही थे
वैश्यों में
ईश्वर होता है या नहीं
पर सारे ईश्वर
वैश्यों के लिए ही होते हैं
कई ईश्वर
होते हैं
वैश्यों की ही वजह से
ईश्वर
होता हैं मंदिरों में
किंतु सभी मंदिरों में नहीं
उन भव्य मंदिरों में
जिनका टर्नओवर होता है
अरबों रुपए का
ईश्वर
योरोप अमरीका के
अतिभव्य विशालकाय
देवालयों में भी होता है
या फिर
ईश्वर होता है
उन मस्जिदों में
जिन्हें कथित रूप से
मंदिर तोड़कर बनाया गया
ईश्वर को
इन विवादित इमारतों से
मुक्ति दिलाना
बेहद ज़रूरी है
कई बार
ईश्वर की मुक्ति
राजा के उत्थान
और
प्रजा के पतन का
कारण भी बन जाती है
किंतु
जब ईश्वर इतने कम हों
तो उनकी मुक्ति
प्रजा के प्राणों से
महत्वपूर्ण हो जाती है
क्योंकि
गाँवों सिवानों के
अति छोटे मंदिरों में तो
ईश्वर होता नहीं
वहाँ होती हैं
अतृप्त कामनाएँ
उपेक्षित ग्रामवासियों की
ख़ास तौर पर
महिलाओं और
मज़लूमों की
मंदिरों के इस मुल्क़ में
ज़रूरी नहीं
कि हर मंदिर
धर्मक्षेत्र ही हो
कई मंदिर होते हैं
राजनीतिक अखाड़े
वैसे अख़ाड़े होते हैं
धार्मिक संप्रदायों में भी
पर ईश्वर वहाँ भी नहीं
वहाँ होते हैं महंत
और उनकी गद्दियाँ
ईश्वर के होने से
बड़ी तकलीफ़ है
दुनिया के
बहुत सारे लोगों को
शायद
इस दुनिया के
बहुत सारे लोगों से
हो सकता है
उतनी ही तकलीफ़
ईश्वर को भी हो!
(चेतना विकास मिशन)