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भाजपा ने भारत की राजनीति के गणित बदल दिये हैं

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अभिषेक_उज्जिनवाल

ये कोइ आश्चर्य की बात नहीं है सभी चिंतकों और सेफोलॉजिस्टो को पता था भाजपा सरकार बना रही है, मगर आखिर समय तक सब अपनी पार्टि के लिए प्रचार करते ही रहे क्योंकि डर था कहीं भटके हुए वोटर और ना भटक जाए ।
भाजपा ने राजनीति को दो खेमों मे बांट दिया है , जिसको अभी तो तोड़ पाना संभव नहीं दिखता कांग्रेस जैसी पार्टि 2014 के बाद से खाता खोलने के लिए संघर्ष कर रही है , बाकी रिजनल पार्टियों से क्या उम्मीद की जाए । भाजपा से एलिट लोगों के अलावा कोइ भी निजी स्वार्थ के कारण नहीं जुड़ा है ,सभी आइडियोलॉजीक डॉमिनेश बनाने के लिए भाजपा के साथ हैं।
मुस्लिम समुदाय की जो दुर्दशा भाजपा ने की है वो कई सालों तक पूरी नहीं की जा सकती , उन्हें एक तरह का पॉलिटिकल exclusion वर्ग बना कर रख दिया है ना कोइ पूरी तरह साथ लेना चाहता ना ही पूरी तरह छोडना चाहता, बसपा ने फिर भी उन्हें 100 से ऊपर टिकट दिये मुस्लिम वोटों से गेन की उम्मीदें थी पर उन्होंने बसपा से ज्यादा अपना नुकसान किया है आगे के चुनावों मे।भाजपा ने जो हिंदुत्व के आयाम तय किये है उसे भाजपा से ज्यादा अच्छी तरह कोइ पूरा नहीं कर सकता इसलिए हिंदुत्व की पिच पर अब बैटिंग करना कोर वोटरों को दूर करना है ।
दलित राजनीति जो कई दफा यूपी मे सरकार मे रही है ,उसका  हाशिये पर जाना दुख की बात है। बसपा से नाराजगी नहीं है बस कुछ सुझाव हैं अब पहले की तरह वोट नहीं आ सकते और ज्यादा मेहनत करनी होगी भाजपा के पा एक्सट्रा वोट के साथ एक ऐसा वर्ग है जो दिन रात फ्री प्रचार कर रहा है दलितों के लिए दोहरी चुनौती हैं राजनीति के साथ साथ मुख्यधारा मे आना है।
पिछडों की सांस्कृतिक लड़ाई सवर्णों के साथ अपने वर्चस्व को स्थापित करने की है और राजनैतिक संघर्ष मे जितने वाला ही अपनी संस्कृति का बढ़ावा दे सकता है । दलितों की लड़ाई सवर्णों के साथ साथ पिछड़ो से भी रहती है। क्योंकि सामाजिक न्याय के नाम पर दलितों के साथ हक की हकमारी होती आई है ,पिछडो की सामाजिक समस्या प्रिविलेज वर्ग बनने के लिए है वो दलित वोट तो चाहते हैं मगर और किसी तरह का संबंध नहीं जबकि दलित मुख्यधारा मे आने भर के लिए संघर्षरत है।
आप का पंजाब मे गेन करना और भी ज्यादा घाटे की चीज है ,जहां भाजपा हर नैरेटिव हर तरह की तरकीब लगाने के बाद भी नहीं आ सकती वहां वो खुद ही कमजोर होकर आप को खड़ा कर देती है । केजरीवाल ने दिल्ली मॉडल के नाम पर दूसरे राज्यों के लिए अपने आप को ऑप्शन बना कर दे दिया है जिसे जनता चाहकर भी रिजेक्ट करना नहीं चाहती।
अब ये तो तय हो चुका है की रोजगार, दलित उत्पीड़न ,महंगाई जैसी समस्याओं पर जनता की कोइ रूची नहीं है ।(फिलहाल इतना ही…….)
#_abhishek_ujjinwal

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