अग्नि आलोक
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अधोपतन

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तिरंगे में लिपटा अपराधी
अपराधी ही होता है
अपराधी का अपराध
कम नहीं हो जाता
अपराध धुल नहीं जाता

समूह के कहने पर या,
मुल्क के एक बहुत खास के एलान पर
कोई मुजरिम शहीद नहीं हो जाता
हां, एक मुल्क शहीद जरुर हो जाता है

अपराधी को
अपराधी नहीं मानना
उसका साथ देना
घोषित अपराध है

थाने का
अदालत का
चुप रहना
हस्तक्षेप
नहीं करना
गिरोहबंद राष्ट्रीय अपराध है

अपराध सुकना के जंगल से हो
या रायसीना हिल्स के पत्थरों से
अपराध को अपराध कहा जाएगा

तिरंगे में लिपटने का हक
शहीद का है
किसी अपराधी का नहीं
यह सम्मान नहीं
तिरंगे का खुला अपमान है

मुल्क का मूक रहना
जवाबदेहों से जवाब नहीं मांगना
मुल्क का, मुल्क में रहने वालों का
अधोपतन है!
अधोपतन है!!

  • राम प्रसाद यादव
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