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चुनाव आयोग की चुप्पी की वजह से राजस्थान से जो ज़हर फैलना शुरू हुआ वो अब केरल तक जा पहुंचा…..

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राकेश अचल

सर्वाधिक शिक्षित केरल पर भी नागपुरिया सियासत का ज़हर असर दिखाने लगा है। यहां के एक निर्दलीय वामपंथी समर्थक विधायक ने कांग्रेस के नेता राहुल गांधी को लेकर एक अत्यंत अमर्यादित टिप्पणी की है।इस टिप्पणी से राहुल गांधी पर तो कोई असर नहीं होगा लेकिन केरल की प्रतिष्ठा को धक्का अवश्य लग रहा है।
माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के हिंदू – मुसलमान वाले बयानों पर केंद्रीय चुनाव आयोग की चुप्पी की वजह से राजस्थान से जो ज़हर फैलना शुरू हुआ वो अब केरल तक जा पहुंचा है। केरल के वामपंथी समर्थक नेता ने राहुल गांधी के डीएनए को लेकर अमर्यादित टिप्पणी की है। उन्हें राहुल के गांधी होने पर शक है।
अनवर ने कहा कि वे बहुत नीचे गिर गए हैं। मुझे शक है कि राहुल गांधी का जन्म नेहरू परिवार में हुआ था। मेरे ख्याल से उन्हें अपने सरनेम में गांधी का भी इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
अनवर ने यह बात राहुल गांधी के उस बयान के खिलाफ कही, जिसमें उन्होंने केरल के मुख्यमंत्री पर तंज कसते हुए कहा था कि दो मुख्यमंत्री जेल में हैं। केरल के मुख्यमंत्री के साथ ऐसा कैसे नहीं हो रहा? यह थोड़ा हैरान करने वाला है।
राहुल के इस बयान से आईएनडीआईए ब्लॉक गठबंधन नेताओं, कांग्रेस और माकपा के बीच चल रहा मतभेद और बढ़ गया है। दुख की बात ये है कि केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने अनवर को डांटने के बजाय उनका क
बचाव करते हुए कहा- राहुल को बोलते हुए सावधान रहना चाहिए।
राहुल ने विजयन के खिलाफ कोई अभद्र टिप्पणी नहीं की थी।एक सामान्य बात कही थी।विजयन चूंकि वामपंथी हैं इसलिए उन्हें दूध का धुला होने का तमगा नहीं दिया जा सकता। बहरहाल इस समय देश की फिजा में चौतरफा ज़हर ही ज़हर है। अकेले भाजपा इसके लिए जिम्मेदार नहीं हैं।सभी राजनीतिक दलों में लगता है कि ज़हर फैलाने की होड़ लगी है।
मौजूदा हालात में केंद्रीय चुनाव आयोग का निकम्मापन खुलकर सामने आ गया है। केंचुए के पास इतनी ताकत नहीं है कि वह बदजुबानी के लिए किसी को भी आंखें दिखा सके। उसके लिए अनवर हों या परम स्वतंत्र आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी सब बराबर हैं। केंचुआ केवल कांग्रेसियों को ही एडवाइजरी जारी कर सकता है, उन्हें चुनाव प्रचार करने से रोक सकता है। प्रधानमंत्री के खिलाफ की गई शिकायत पर संज्ञान लेने की हिम्मत केंचुए में है ही नहीं।
अठारहवीं लोकसभा के लिए चुनाव जिस माहौल में हो रहे हैं उसे देखकर लगता है कि नयी लोकसभा भी जहरीली सियासत की तरह ज़हर बुझी ही होगी।जिस तरह से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बहुसंख्यक समाज में मुसलमानों को लेकर जो भ्रम फैला रहे हैं,उसकी भनक सत्रहवीं लोकसभा में भाजपा सांसद बिधूड़ी के एक मुस्लिम सांसद पर दिए गए भाषण में बहुत पहले मिल चुकी है। मुस्लिम सांसद भले ही बसपा के थे, लेकिन थे तो हिंदुस्तान के।
मतदाताओं को समझना होगा कि यदि वे मुसलमानों को लेकर घृणा फैलाने वालों के फेर में आ गए तो वे भी उस जघन्य पाप के भागीदार बन जाएंगे जो पाप भाजपा और मोदी जी खुल्लम खुल्ला कर रहे हैं। केंचुआ उनका सहायक है। अदालतें स्वयं संज्ञान ले नहीं सकतीं। यानि नेताओं को जहर घोलने की पूरी आजादी है।
देश में कोई भी सरकार रही हो उसने कभी किसी से छीनकर किसी दूसरे को नहीं दिया।दे भी नहीं सकती। भाजपा में भी इतना दम नहीं है कि वो मुसलमान से छीनकर हिंदू को दे दें । भाजपा तीसरी क्या दस बार भी सत्ता में आ जाए देश के 20 करोड़ मुसलमानों को न देश निकाला दे सकती है और न उन्हें बुलडोजर से रोंद सकती है। सियासी बुलडोग भी मुसलमान को नुक्सान नहीं पहुंचा सकते।
केंचुए की लापरवाही और सत्ता प्रतिष्ठान से तालमेल का है खामियाजा देश को न भुगतना पड़े, इसके लिए जरूरी है कि सभी विपक्षी दल सांप्रदायिकता का जहर फैलाने वालों से जूझे में न कि आपस में उलझें। सांप्रदायिक ताकतों की कोशिश तो यही है कि विपक्षी आपस में ही लड़ मरें।विपक्ष को अकेले केरल नहीं बल्कि पूरा देश बचाना है।
बहरहाल अभी वक्त है, चुनाव आयोग नींद से बाहर आए। मोदी हों या राहुल अनवर हों या अरविंद सबको बदजुबानी से रोके। सख्ती से रोके। कोई कितना भी बड़ा क्यों न हो केंचुए का कुछ नहीं बिगाड़ सकता।टीएन शेषन ने ये कर दिखाया था। संविधान में केंचुए को हर नाग – नागिन को नाथने की ताकत दी है। यदि केंचुए ने अपनी जिम्मेदारी न निभाई तो लोकतंत्र बर्बाद हो जाएगा।

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