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इंडिया गठबंधन, घमंडिया साहिब पर कितना भारी!

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सुसंस्कृति परिहार 

साथियों, आमचुनाव का पहला चक्र 19 तारीख को 21राज्योंं में 102 सीटों पर सम्पन्न हो गया।जैसा कि पूर्ववत अनुमान किया जा रहा था कि तमाम विपक्ष के साथ सत्तारुढ़ पार्टी में भी अजब सी शांति चारों ओर परिव्याप्त थी वह किसी अनहोनी की ओर संकेत कर रही थी।वह हुआ भी दोनों पार्टियों के बीच गहरे असंतोष की वजह से लगभग 383 शिकायतें चुनाव आयोग तक पहुंची।कुछ स्थानों पर अराजक स्थिति भी बनी तो इक्का-दुक्का क्षेत्रों में मतदान का वहिष्कार भी किया गया।पश्चिम बंगाल, मणिपुर और छत्तीसगढ़ के कुछ इलाकों से हिंसा की खबर सामने आई। कहीं पर गोलीबारी देखने को मिली तो कहीं पर ईवीएम तक तोड़ने की कोशिश हुई। कुछ लोग घायल हुए हैं तो एक सीआरपीएफ जवान शहीद भी बताए गए हैं। इसके बावजूद मतदाताओं ने राम मंदिर को भुलाते हुए संविधान बचाने पर ध्यान केंद्रित कर मतदान किया। त्रिपुरा और बंगाल में भारी मतदान की ख़बर है।

यदि चुनाव के दौरान हुई घटनाओं को बारीकी से देखने की कोशिश करें तो जो तथ्य सामने आए हैं वे भाजपा को विचलित करने वाले हैं इसलिए अपने साहिब के विचारानुरुप प्रत्येक बूथ जीतने की कोशिश में अमूमन ये घटनाएं घटित हुई।ये हार का संकेत देते हैं।

आमतौर पर इंडिया गठबंधन की सजगता की बदौलत भाजपा आक्रोशित हैं उनकी एका घमंडिया सत्ता पर भारी पड़ रही है इसलिए दमन के हथकंडे अगामी चुनाव में और भी अधिक सामने आयेंगे ये निश्चित है।इसकी तैयारी चुनाव आयोग और इंडिया गठबंधन को करनी होगी।इस एका के सुफल भी मिलने लगा भाजपा में गए कांग्रेसी भी चोरी छिपे कांग्रेस को जिताने में लग गए और पुनर्वापसी हेतु तैयार है छिंदवाड़ा लोकसभा सीट पर ऐसा ही मंज़र देखने मिला जब महापौर ने भाजपा में जाकर फिर कांग्रेस का रुख किया है। चुनाव आयोग भी थोड़ी बहुत दहशत में होकर काम कर रहा है उसके ऊपर सुको की तलवार लटकी हुई है।भाजपा के अंदर भी भीतरघात जबरदस्त चल रहा है जिसका फायदा इंडिया को मिलेगा।

सबसे बड़ी बात यह है पहले जितने मुखर होकर घमंडी साहिब चुनावी सभाओं में आते थे वो खेल और उसका सम्मोहन भी जाता रहा है जहां भीड़ नहीं जुटती वहां आधा या एक किलोमीटर की रैली हो जाती है  भीड़ जुटाने की हरचंद कोशिश के बावजूद सभाओं में दस हजार के लगभग ही लोग पहुंच पा रहे हैं।उनके पास कांग्रेस के ख़िलाफ़ जो कुछ भी है वह सब झूठा है लोग इसे लंबे समय से सुनकर बोर हो चुके हैं। राममंदिर के प्राण-प्रतिष्ठा के आमंत्रण को ठुकराने वालों को धर्मविरोधी बताकर वोट हासिल करना अब आसान नहीं रहा तमाम जनता ने इस समारोह में उनके मंत्रीमंडल के साथियों को भी नहीं देखा सबसे अहम् बात तो ये है सनातन धर्म प्रमुख चारों शंकराचार्य भी इस समारोह में नहीं आए और विरोध जताया। वहां तो अमीरजादों की ही उपस्थिति रही ।अब ज्योतिषी भी इस धर्म विरुद्ध आयोजन के लिए उन्हें  राम के कोपभाजन का शिकार बता रहे हैं।उनका साफ़ विचार है साहिब तो डूबेंगे ही भाजपा को भी ले डूबेंगे।

कुल मिलाकर इंडिया गठबंधन का एकजुटता से चुनाव लड़ना, साहिब की पिछली जीतों की खुलती पोल, इलेक्टोरल बांड की आड़ में चंदे का धंधा,पीएम केयरफ़ंड की जानकारी ना देना, चुनाव आयोग से सांठगांठ कर जनमत के साथ धोखाधड़ी, संसदीय गरिमा को तार तार करना ,जनता के चुने प्रतिनिधियों की ख़रीद फ़रोख़्त,झूठी गारंटियां,बढ़ती मंहगाई और बेरोजगारी, देश की विदेशों में गिरती साख वगैरह वगैरह तथाकथित एक अकेले पर बहुत भारी पड़ने जा रहा है।पहले चक्र के दौरान बाहर आए ख़ामोश मतदाता तो यही कह रहे हैं। इंडिया गठबंधन मज़बूत स्थिति में है।

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