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कितनी होती है यूपी में एमएलसी की सैलरी, क्‍या सुविधाएं…कैसे होता है चुनाव?

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लखनऊ : 40 साल में ये पहली बार है जब यूपी विधान परिषद में किसी पार्टी को पूर्ण बहुमत मिला है। ये रिकॉर्ड भाजपा के नाम दर्ज हो गया है। इसके पहले 1982 में कांग्रेस के पास पूर्ण बहुमत था। यूपी विधान परिषद में 100 सीटें हैं। इनमें से 36 सीटों के लिए चुनाव हुए। नौ सीटों पर भाजपा (BJP) उम्मीदवारों ने निर्विरोध जीत हासिल की। जिन 27 सीटों पर मतदान हुआ, उनमें से 24 पर भाजपा को जीत मिली। तीन सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवार जीत गए। विधान परिषद में बहुमत का आंकड़ा 51 का है। अब भाजपा के 67 एमएलसी हो चुके हैं। यानी बहुमत के आंकड़े से भी 16 ज्यादा।

अभी देश के छह राज्यों में ही विधान परिषद हैं। उत्तर प्रदेश विधान परिषद में 100 सीटें हैं। इसके अलावा बिहार, महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में भी विधान परिषद अस्तित्व में है। विधान परिषद में एक निश्चित संख्या तक सदस्य होते हैं। विधानसभा के एक तिहाई से ज्यादा सदस्य विधान परिषद में नहीं होने चाहिए। मसलन यूपी में 403 विधानसभा सदस्य हैं। यानी यूपी विधान परिषद में 134 से ज्यादा सदस्य नहीं हो सकते हैं। इसके अलावा विधान परिषद में कम से कम 40 सदस्य होना जरूरी है। एमएलसी का दर्जा विधायक के ही समकक्ष होता है।

एक एमएलसी को मिलने वाली सुविधाएं
एक एमएलसी चुने गए व्यक्ति का मासिक वेतन लगभग 40 हजार रुपए होता है। वहीं उसे क्षेत्रीय भत्ते के नाम पर 50 हजार रुपए प्रतिमाह सरकार की ओर से मिलते हैं। चुने गए एमएलसी पर सरकार 10 हजार रुपए प्रतिमाह स्टेशनरी पर खर्च करती है। वहीं यात्रा भत्ता के नाम पर एमएलसी चुने गए व्यक्ति को 20 रुपए प्रति किलोमीटर राज्य के अंदर और 25 रुपए प्रति किलोमीटर राज्य के बाहर का मिलता है।

राज्य के अंदर दैनिक भत्ता
एमएलसी चुने गए व्यक्ति को राज्य के अंदर दैनिक भत्ता 2000 प्रतिदिन के हिसाब से और 25 हजार रुपए प्रतिदिन के हिसाब से राज्य से बाहर के लिए प्राप्त होता है। वहीं बिजली की 2000 यूनिट प्रतिमाह मुफ्त मिलती है।

अन्य सुविधाएं
एमएलसी चुनकर आए व्यक्ति को 3 लाख रुपए (चार सह यात्रियों के साथ) के हवाई जहाज या रेलवे कूपन मिलते हैं। घर के फोन और मोबाइल समेत कुल 1 लाख रुपए प्राप्त होते हैं।

कैसे चुने जाते हैं विधान परिषद के सदस्य
विधान परिषद के सदस्य का कार्यकाल छह साल के लिए होता है। चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम 30 साल उम्र होनी चाहिए। एक तिहाई सदस्यों को विधायक चुनते हैं। इसके अलावा एक तिहाई सदस्यों को नगर निगम, नगरपालिका, जिला पंचायत और क्षेत्र पंचायत के सदस्य चुनते हैं। वहीं, 1/12 सदस्यों को शिक्षक और 1/12 सदस्यों को रजिस्टर्ड ग्रैजुएट चुनते हैं। यूपी में विधान परिषद के 100 में से 38 सदस्यों को विधायक चुनते हैं। वहीं 36 सदस्यों को स्थानीय निकाय निर्वाचन क्षेत्र के तहत जिला पंचायत सदस्य, क्षेत्र पंचायत सदस्य (BDC) और नगर निगम या नगरपालिका के निर्वाचित प्रतिनिधि चुनते हैं। 10 मनोनीत सदस्यों को राज्यपाल नॉमिनेट करते हैं। इसके अलावा 8-8 सीटें शिक्षक निर्वाचन और स्नातक निर्वाचन क्षेत्र के तहत आती हैं।

मथुरा-एटा-मैनपुरी सीट से चुने जाते हैं दो प्रतिनिधि

प्रदेश में स्थानीय निकाय कोटे की विधान परिषद की 35 सीटें हैं। इसमें मथुरा-एटा-मैनपुरी सीट से दो प्रतिनिधि चुने जाते हैं इसलिए 35 सीटों पर 36 सदस्यों का चयन होता है। अमूमन यह चुनाव विधानसभा के पहले या बाद में होते रहे हैं। इस बार 7 मार्च को कार्यकाल खत्म होने के चलते चुनाव आयोग ने विधानसभा के बीच में ही इसकी घोषणा कर दी थी। बाद में विधानसभा चुनावों के मद्देनजर परिषद के चुनावों को टाल दिया गया। स्थानीय निकाय की सीटों पर सांसद, विधायक, नगरीय निकायों, कैंट बोर्ड के निर्वाचित सदस्य, जिला पंचायत व क्षेत्र पंचायतों के सदस्य, ग्राम प्रधान वोटर होते हैं।

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