– मंजुल भारद्वाज
?
क्या मुंबई सिर्फ़ लोकल ट्रेनों में
ठूसी हुई भीड़ भर रह गई है?
क्या मुंबई ट्रैफिक जाम में
रेंगती भीड़ हो गई है?
क्या सपनों की नगरी के
सपने मर गए हैं?
क्या मुंबई की अपनी
कोई आवाज़ है ?
मुंबई का इतिहास है
प्रगति, उन्नति और प्रतिरोध का
क्या मुंबई का प्रतिरोध
खत्म हो गया?
मुंबई राजनीति
उद्योग और कला का
गढ़ हुआ करती थी
क्या मुंबई में नेतृत्व
करने की क्षमता मर गई है?
देश की आज़ादी के लिए
करो या मरो
अंग्रेज़ों भारत छोड़ो का
इतिहास रचने वाली
एक आवाज़ में
अपने हक़ के लिए
हुंकार भरने वाली
मुम्बई कहां है?