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क्या सचमुच डरे हुए हैं: हमारे पीएम

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सुसंस्कृति परिहार
विश्व की सबसे बड़ी पार्टी का दंभ भरने वाले हमारे प्रधानमंत्री जी की आज कल सिट्टी-पिट्टी गुम है।इतने गंभीर मामलों में आज तक भारत का कोई प्रधानमंत्री नहीं घिरा होगा जैसे हमारे वर्तमान पीएम इस वक्त घिरे हुए हैं वह भी आमचुनाव के दौरान अचानक घिरते चले जाना नुकसान देह है। एक ईमानदार का चोला ओढ़कर कथित तौर पर ,उन्होंने जितने गुल हर क्षेत्र में खिलाए हैं वे एक-एक कर सामने आते जा रहे हैं। सबसे बड़ी बात इन दिनों उनकी हालत इस कदर खराब है कि वे अपनी कमज़ोरियों को दूसरे पर थोपने की बजाय खुद बा खुद घेरे में आ जाते हैं जिसे आमतौर पर हम सब आ बैल मुझे मार की स्थिति कहते हैं।


जब वे कहते हैं कांग्रेस का काम झूठ बोलो, लगातार झूठ बोलो तो जनता मज़े लेने लगती है या कहते हैं इतनी लूट जिसका कोई हिसाब नहीं वह मंगलसूत्र भी छीन लेगी तो पुलवामा, मणिपुर की घटनाएं याद आ जाती है।याकि कि जब सड़क पर संघर्ष करते एक सफेद टी शर्ट में जनता का आव्हान करते हुए राहुल गांधी को शहजादा कहकर बुलाते हैं तो दिन में तीन-चार बार पोशाक बदलने वाले,काजू की रोटी खाने वाले पीएम सबको याद आ जाते हैं।वे जब कहते हैं देश नहीं बिकने दूंगा और देश के तमाम बड़े संस्थान बेच देते हैं।कालाधन वापस आएगा वह नहीं आता बल्कि स्विस बैंक में कालाधन तीव्र गति से बढ़ जाता है। दो करोड़ रोजगार देने की बात कहकर उन्हें आत्मनिर्भर बनने प्रेरित करते हैं।
वंशवाद की बात करते हुए वे कभी मोटा भाई के शहजादे को याद नहीं करते।उस गांधी परिवार की बात करते हैं जिन्होंने संघर्ष में तपकर अपना मुकाम हासिल किया है नेहरू के प्रधानमंत्री रहते इंदिरा जी कभी मंत्री नहीं बन पाई, इंदिरा जी के रहते राजीव गांधी प्रधानमंत्री नहीं बने। सोनिया गांधी ने दो बार इस पद को ठुकराया। राहुल गांधी को मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री बनाने की कोशिश की वे नहीं बने। सन् 2014से पूरे दस साल वे जिस तरह विपक्ष की महत्वपूर्ण भूमिका में हैं वह मायनेखेज है। इंडिया गठबंधन में जब राहुल को प्रधानमंत्री बनाने की चर्चा चली तो उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम प्रस्तावित किया।इतना संघर्ष तो आज़ादी के दौरान भी नहीं देखा गया।

बहरहाल अब एक ताजा उदाहरण देख लीजिए वे तैलंगाना करीमनगर में यह कह रहे हैं कि राहुल गांधी को आटो में कालाधन के नोट भर भर के अडानी अंबानी भेज रहे हैं। पीएम साहब यदि भेज रहे हैं तो अपने मित्रों को रोक दीजिए। नहीं तो ईडी, सीबीआई कब काम आएंगे।पकड़ो और कांग्रेस का खेल बिगाड़ो।जिससे सारी स्थिति पलट जाएगी। पर ये सब कैसे मुमकिन होगा ?मामला कुछ हो तब तो बात बनेगी। मामला तो आप पर आके टिकेगा।अब तक उन्होंने आपकी ही भारी भरकम मदद की है।आप ही घेरे में आ गए। कालाधन उनके पास कहां से आया वगैरह।

यदि आपकी बात सच्ची है तो यह दुखद है।क्या आपके यार द्वय ने अपना ठिकाना बदल लिया है।आप सही कहते रहे हैं व्यापार उनकी रंगो में है। व्यापार के आगे यार और व्यवहार नहीं चलते।ये स्थिति बड़ी ख़राब है।धन गया यानि सब कुछ गया। मतलब साफ़ है शायद आप चार सौ पार की जगह सिर्फ पार हो पाएं तो बड़ी बात होगी।
लेकिन अभी भी वक्त है कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 8 मई को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से जांच कराने की चुनौती दी है, क्योंकि श्री आपने कांग्रेस पर अंबानी और अडानी के साथ सांठगांठ का आरोप लगाया है ।शीध्रता करें ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो जाए। इससे आपकी छवि में इज़ाफ़ा होगा। आजकल आपकी बातों पर लोगों का भरोसा नहीं रहा है। प्रचारित किया जा रहा है आप डरे हुए हैं। आइए सीना तानकर बता दें वह 56 इंची से कम नहीं हुआ है।वह पवित्र है और अडानी अंबानी के लिए ही धड़कता है।

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