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राजस्थान में अब भाजपा के लिए मुश्किलें बढ़ने लगी हैं 

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जगदीप सिंह सिंधु

राजस्थान में दो चरण में लोकसभा चुनाव होंगे। पहले चरण में चुनाव 19 अप्रैल को 12 सीटों बीकानेर, गंगानगर, चूरू, झुंझुनू, सीकर, नागौर, जयपुर ग्रामीण, जयपुर शहरी, अलवर, भरतपुर, करौली-धौलपुर और दौसा में होंगे। ऐसे में हर कोई जानना चाहता है कि राजस्थान में जनता किसे चुनने जा रही है।

2023 में हुए विधानसभा के चुनावों के परिणामों और वर्तमान राजनीतिक स्थितियों की समीक्षा और क्षेत्र में उभरते समीकरणों से तस्वीर कुछ साफ हो जाती है। 

दौसा की लोकसभा सीट के अंतर्गत 8 विधानसभा आती हैं। बस्सी, चाकसू, थानागाजी, बंदीकुई, महोबा, सिकराय,  दौसा और लालसोट। भाजपा के यहां से 5 विधायक 2023 में जीते हैं। कांग्रेस के 3 विधायक हैं। 2019 में पुलवामा लहर के चलते इस सीट पर भाजपा की जसकौर मीणा ने 548733 वोट हासिल किये जबकि कांग्रेस के उम्मीदवार सविता मीणा ने 470289 वोट पाए थे। 

पूर्वी राजस्थान की सबसे चर्चित सीट दौसा में अब भाजपा के लिए मुश्किलें बढ़ने लगी हैं, दौसा से भाजपा ने कन्हैया लाल मीणा को प्रत्याशी बनाया है, निवर्तमान संसद जसकौर मीणा का टिकट काट दिया गया। वहीं किरोड़ी लाल मीणा इस टिकट को लेकर खासे नाराज़ हैं क्योंकि वो अपने भाई जगमोहन मीणा को टिकट दिलवाने के लिए प्रयासरत थे। दौसा  से पहले सचिन पायलट सांसद रह चुके हैं कांग्रेस ने पूर्व मंत्री वर्तमान विधायक मुरारी लाल मीणा को चुनाव में उतरा है।

भरतपुर की सीट में जिले की 7 विधानसभा व 1 विधानसभा अलवर जिले की आती है। कमान नगर, डीग –कुम्हेर,  भरतपुर, नदबई, वियर, बयाना और थानागाजी हैं। भाजपा के गढ़ में यहां 5 विधायक भाजपा के व 1 विधायक रालोद, 1 विधायक कांग्रेस व एक विधायक निर्दलीय है। भरतपुर अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट है। भरतपुर की सीट पर कोई भी पार्टी अभी तक हैट्रिक नहीं लगा पाई ये तासीर यहां के मतदाताओं की है।

भाजपा ने यहां अपना प्रत्याशी फिर से बदल दिया है। अबकी बार रामस्वरूप कोली को यहां से प्रत्याशी बनाया है। कांग्रेस ने संजना जाटव पर भरोसा जताया है। बसपा ने इंजीनियर अंजिला शकरावल को अपना उमीदवार बनाया है।  2019 में रंजीता कोली ने एक बड़ी जीत यहां से प्राप्त की थी। पुलवाना की लहर में 7 07 992 वोट बटोरने में सफल रही थी। कांग्रेस के अभिजीत कुमार जाटव को 3 89 593 को वोट मिले थे। स्थानीय समीकरण और जनता  जनार्दन अबके किस तरह से व्यवाहर करेंगे चुनाव के अंतिम दिनों तक साफ हो जायेगा।

करौली-धौलपुर की सीट का अधिकतर हिस्सा मध्यप्रदेश और उतर प्रदेश के साथ लगता हुआ है। 2008 में परिसीमन के बाद यह लोकसभा क्षेत्र आरक्षित हो गयी थी। बसेरी, बरी, धौलपुर, राजाखेड़ा, टोडाभीम, हिण्डोन, करौली और सपोटरा विधान सभा क्षेत्र इस लोक सभा में हैं। 

वर्तमान में यहां से कांग्रेस के 5 विधायक, भाजपा से 2 और बसपा से एक विधयक हैं।करौली-धौलपुर लोकसभा सीट के लिए भाजपा ने प्रत्याशी इंदु देवी जाटव को प्रत्याशी घोषित किया है, कांग्रेस प्रत्याशी भजनलाल जाटव और बसपा प्रत्याशी विक्रम सिंह हैं। अधिकतर मतदाता लगभग 82% ग्रामीण पृष्ठभूमि से हैं। यह क्षेत्र पिछड़ा हुआ कहा जाता है। अनुसूचित जाति के यहां करीब 22.5 % मतदता है और अनुसूचित जनजाति के 14.6% और मुस्लिम समुदय के 4 % मतदाता हैं। 2019 की लहर में यहां से मनोज रजोरिया ने 526443 वोट प्राप्त किये थे। कांग्रेस के स्नजय जाटव ने 428761 मत हासिल किये थे। 2023 की विधान सभा चुनाव में कांग्रेस को यहां 7 विधान सभा में 589040 मत मिल थे जबकि मुख्य विपक्षी भाजपा को 7 विधान सभा में 5 34 199 मत मिले थे। बसपा को यहां 2 विधानसभा में 1 53 935 मत प्राप्त हुए थे। यहां मुकाबला काफी रोचक होगा। स्थनीय समीकरण यहां बहुत महत्वपूर्ण हो गए हैं। कौन कितने रूठे हुए को मना पाता है यही सफलता का सूत्र होगा। 

अलवर की सीट हॉट सीट की श्रेणी में आ गई है। राजस्थान विधान सभा चुनाव 2023 में यहां से 5 सीट कांग्रेस जीती हैं। यहां से सांसद महंत बालक नाथ को भाजपा ने विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी बनाया था और वो विधायक का चुनाव हार गए। भाजपा को 8 विधानसभा वाली इस लोकसभा सीट में केवल 2 सीटों पर ही जीत 2023 के विधानसभा चुनावों में मिल पाई थी। तिजारा, किशनगढ़, बॉस मुंडावर, बहरोड़, अलवर ग्रामीण, अलवर शहरी, रामगढ़, राजगढ़ लक्ष्मणगढ़ सीट अलवर लोकसभा में हैं। 

जातीय समीकरण में यादव यहां 13.63%, अनुसूचित जाति 17.8%, अनुसुचित जनजाति 5.9%, ब्राह्मण 11.21%, मुस्लिम 18.6%, जाट 8.13% , माली 5.06%, सिख 2.3%, गुज्जर 3. 8% हैं।

भाजपा ने यहां से महंत बालकनाथ को बदल कर भूपेंद्र यादव को टिकट दिया है। भूपेंद्र यादव  के बारे में पहले हरियाणा से चुनाव में उतरने की अटकलें लगाई जा रही थी। पिछली बार महंत बालक नाथ ने एक बड़े अंतर से यहां जीत हासिल की थी। कांग्रेस ने मुंडावर विधायक ललित यादव को मैदान में उतारा है, जबकि बीएसपी से फजल हुसैन पर दांव खेला है।   

जयपुर ग्रामीण, कोटपूतली, विराटनगर, शाहपुरा, फुलेरा, आम्बेर, झोटवाड़ा, जामवा-रामगढ़,  बानसूर की विधानसभाओं का क्षेत्र है। कांग्रेस ने यहा, से 2023 के  विधानसभा चुनाव में 3 सीटों पर जीत पाई और भा पा 5 सीटों पर जीती है। भाजपा को 7 विधानसभा में 6 45 705 वोट प्राप्त हुए थे जबकि कांग्रेस को 637 658 मत मिले। एक निर्दलीय को लगभग 59 124 व एक प्रत्याशी आसपा (कांशीराम) को 54 185 मत मिले। 2014 और 2019 राज्यवर्धन सिंह राठौड़ यहां से विजयी रहे थे जिन्हें विधानसभा चुनाव के दौरान विधायक के चुनाव के लिए उतार दिया गया था। भाजपा ने अब यहां से राव राजेंद्र सिंह को चुनाव में उतरा है। कांग्रेस ने अनिल चोपड़ा को अपना प्रत्याशी बनाया है। कोटपूतली, विराटनगर, शाहपुरा, फुलेरा बानसूर के समीकरण इस सीट को बहुत प्रभावित करने वाले हैं जहां से स्थानीय मतदाताओं में एक हलचल भीतर ही भीतर चल रही है।  यह सीट भाजपा के लिए सरल नहीं रह गई है। 

जयपुर शहरी सीट एक तरह से भाजपा का गढ़ माना जाता है। 2023 के विधान सभा चुनाव में विधान सभा की 6 सीट यहां भाजपा के खाते में हैं जबकि कांग्रेस को यहां 2 सीट ही मिल पाई। हवा महल, विद्याधर नगर, सिविल लाइन्स, किशन पोल, मालवीय नगर, आदर्श नगर, सांगानेर और बांगरू की सीटों की यह लोकसभा शहरी मतदाताओं की मानी जाती है। भाजपा ने यहां भी निवर्तमान सांसद का टिकट काट कर नए प्रत्याशी मंजू शर्मा को चुनाव में उतरा है, कांग्रेस ने अब टिकट बदल कर प्रताप सिंह खाचरियावास को अपना प्रत्याशी बनाया है। मंजू शर्मा भाजपा  के कद्दावर नेता कई बार के विधायक भवंर लाल शर्मा की बेटी है। कहा जा रहा है के नरेंद्र मोदी की पसंद के कारण मंजू शर्मा को दो बार के सांसद राम चरण वोहरा की जगह टिकट दिया गया है। 

वहीं कांग्रेस को भी अपना प्रत्याशी जयपुर डायलॉग से जुड़े विवादित सुनील शर्मा को बदलना पड़ा है। प्रतापसिंह खाचरियावास को मैदान में उतरा गया है जो भैरों सिंह शेखावत के भतीजे हैं। अबकी बार जयपुर सीट एक तरफा नहीं रहेगी  यहां भाजपा को काफी मशक्क्त करनी पड़ेगी। 

लोक सभा के चुनाव में राजस्थान में गहमागहमी काफी तेजी से बढ़ेगी जिसमे भाजपा की बड़ी रैलियां चुनावों को किस तरह प्रभावित करेंगी ये देखना रोचक होगा। भाजपा के 400 पार के नारे को राजस्थान कितना बल दे पायेगा ये पहले चरण के चुनाव में स्पष्ट होने लगेगा। वर्तमान परिस्थितियों में जो संकेत धरातल से उभर रहे हैं उनमें भाजपा के लिए राजस्थान में लगभग 10 सीटें फंसी हुई लगने लगी है जिन पर गंभीर चुनौतियों का सामना अबकी बार पार्टी को करना पड़ेगा।(

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