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हिंदुत्ववादियों के मुस्लिम विरोधी मुहिम का जवाब हैं हमारे सर्व कालीन चमकते सितारे

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मुनेश त्यागी 

 आजकल हमारे देश में चुनाव का माहौल जारी है चुनाव में व्यस्त तमाम पार्टियों अपने-अपने कार्यक्रम लेकर जनता के बीच में है और जनता से वोट मांग रही हैं। मगर केंद्र की नरेन्द्र मोदी जी की हमारी सरकार अपने कार्यक्रम के आधार पर वोट न मांगकर मुसलमानों के खिलाफ नफरत का माहौल तैयार करके, उन्हें बदनाम करके और नफरत की मुहिम के आधार पर ध्रुवीकरण पैदा करके जनता की वोट लेना चाहती है। वह जान पूछ कर हमारे देश के सर्वकालिक चमकते हुए मुस्लिम नायक नायिकाओं का अनादर और अनदेखी कर रही है। वह जान पूछ कर इन मुस्लिम नायक नायिकाओं के महान बलिदान को जनता से छिपा रही है।

     एक सोची-समझी रणनीति और चालाकी के तहत मनुवादी और हिंदुत्ववादी सोच के चलते, महान रणबांकुरे मुसलमानों  और मुगल शासकों के इतिहास को, छात्रों के पाठ्यक्रमों से बाहर कर दिया गया। वहां पर सवाल उठाए गए थे कि एनसीईआरटी ऐसा क्यों कर रही थी? उसके डाइरेक्टर का कहना था कि महामारी के चलते पाठ्यक्रम को छोटा किया जा रहा था, उसे कम बोझिल बनाया जा रहा था। मगर उसके कथनों में बहुत भेद था। जब इतिहासकारों ने इसका विरोध किया तो वे कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दे पाए। अब चुनावी माहौल में हमारी केंद्र सरकार भी जैसे मुसलमान से डरी हुई है, जैसे मुसलमान ही इस देश के सबसे बड़े विरोधी हैं और वह इसी मुस्लिम विरोधी नफरत को बढ़ा चढ़ा कर आज चुनाव के माहौल को खराब कर रही है।

       असली सवाल है कि मनुवादी हिंदुत्ववादी ताकतें, आज भी मुसलमानों से क्यों डरी हुई हैं? वे मुसलमानों को खलनायक साबित करने पर क्यों तुली हुई है? इसका कारण है कि उन्होंने जो राष्ट्र की अवधारणा बना रखी है, उसमें एक नकली दुश्मन बना रखा है। हमारे देश में वह नकली दुश्मन हमारे देश के मुसलमान बताये जा रहे हैं। जब हम भारतीय इतिहास का अध्ययन करते हैं तो पाते हैं कि हमारे देश के इतिहास में सारे मुसलमान शासक खराब नहीं थे। उन्होंने भारत के राष्ट्र राज्य को बनाने में बहुत बड़ी भूमिका अदा की थी। इस देश से अंग्रेजों को भगाने के लिए, भारत की आजादी के लिए उन मुसलमान शासकों ने बहुत बड़ी-बड़ी कुर्बानियां दी थीं। 

      ये कुर्बानियां इतनी बड़ी और विशालकाय हैं कि हिंदुत्ववादी ताकतों के पास उनका कोई जवाब नहीं है, उनकी कोई काट और स्पष्टीकरण नहीं है। अतः उनके लिए यह सबसे आसान है कि मुसलमानों को दूसरे दर्जे का नागरिक साबित किया जाए। उनकी महानता से छुटकारा पाने के लिए, उन्हें इतिहास के पन्नों से ही गायब कर दिया जाए, ताकि आने वाली पीढ़ियों को मुसलमानो शासकों की महानता के बारे में पता ही ना चले।

       हमारे देश की साझी संस्कृति में, हमारे देश की आजादी की लड़ाई में, मुसलमानों का क्या योगदान रहा है? इस सवाल को लेकर जब हम अपने इतिहास पर नजर डालते हैं तो हमारे देश में बहुत सारे वीर अमर सेनानीयों में, हमारे देश के बहुत सारे वीर नायक मुसलमानों से संबंध रखते थे। इसी क्रम में हम कुछ मुसलमान अमर सेनानियों का विवरण पेश करते हैं,,,,

 1. हाकिम सूर खान,,,मुगलों के आगमन के बाद अकबर की मुख्य लड़ाई महाराणा प्रताप से थी। आपको जानकर हर्ष भी होगा और आश्चर्य भी होगा कि अकबर के खिलाफ लड़ रहे महाराणा प्रताप के सबसे बड़े सेनापति हाकिम सूर खान थे। अपने महाराणा को बचाने के लिए हाकिम सूर खान ने अपना सर्वोच्च बलिदान दे दिया। उन्होंने महाराणा प्रताप के जीवन को कोई आंच भी ना आने दी और महाराणा प्रताप पर आंच आने से पहले, महाराणा प्रताप की जान बचाते हुए, अपने प्राण न्योछावर कर दिए थे। कोई भी इस महावीर बलिदानी हाकिम सूर ख़ान को कैसे और क्यों कर भुला सकता है?

     2. टीपू सुल्तान,,,,, टीपू सुल्तान की गिनती भारत के महान बादशाहों में की जाती है। टीपू सुल्तान के प्रधानमंत्री पूर्णिया और मुख्यमंत्री कृष्णराव थे। टीपू सुल्तान ने अंग्रेजों के सामने आत्मसमर्पण नहीं किया, सरेंडर नहीं किया और उन्होंने कसम खाई थी कि “मैं मरते दम तक अंग्रेजों का मुकाबला करूंगा, उनसे लड़ाई लडूंगा।” अपने राज्य को आजाद रखने के लिए उन्होंने अपने राज्य में “आजादी का पौधा” लगाया था। अंग्रेजों से लड़ाई में उन्होंने हार नहीं मानी, उनसे कोई समझौता नहीं किया और अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया, जबकि उनके प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री दोनों हिंदू थे। इन दोनों शैतानों ने साजिश की और ये दोनों अंग्रेजों के साथ मिल गए और उन्होंने युद्ध क्षेत्र में टीपू सुल्तान को धोखा दिया और उन्हें जानपूछकर उल्टी दिशा में मोड़ दिया। थिस कारण अंग्रेजों ने उन पर हमला कर दिया और तो टीपू सुल्तान को हर का सामना करना पड़ा था। इन दोनों हिंदू शैतानों की गद्दारी के कारण, अंग्रेज़ युद्ध को जीत पाए, वरना टीपू सुल्तान अपने उन्नत तोपखाने के कारण अंग्रेजों को हराने जा रहे थे और तभी टीपू सुल्तान ने अंग्रेजों का खात्मा कर दिया होता। टीपू सुल्तान भारत के अमर सेनानी है। उनका भारत के इतिहास में कोई जोड़ और तोड नहीं है। वे भारत के इतिहास में सदैव ही बेजोड़ बादशाह बने रहेंगे।

        3. बहादुर शाह जफर,,,,,,, बहादुर शाह जफर 1857 के भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के महानायक थे। उनकी इच्छा के विरुद्ध, स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा उन्हें 1857 के संग्राम का सर्वोच्च सेनापति बनाया गया। उनके निजी सचिव मुकुंद थे। संग्राम में दूसरे राजा महाराजाओं की तरह बहादुर शाह जफर भी चाहते तो अंग्रेजों से समझौता कर सकते थे और भारत के बादशाह बने रह सकते थे, मगर उन्होंने यह स्वीकार नहीं किया। उन्होंने अंग्रेजों से लड़ना स्वीकार किया, अपने दो बेटों और एक पोते की बलि स्वीकार की, इस देश से निकाला स्वीकार किया। अंग्रेजों ने उन्हें रंगून में कैद कर लिया। बहादुर शाह जफर अपनी मातृभूमि भारत की जमीन में दफन होना चाहते थे। उनकी यह अंतिम इच्छा भी पूरी नहीं हुई, मगर इसके बावजूद भी उन्होंने हार नहीं मानी और अंग्रेजों की गुलामी स्वीकार नहीं की, इसीलिए अपनी मौत से पहले उन्होंने कहा था कि,,,

  कितना बदनसीब है ज़फ़र, दफ्न के लिए

  दो गज जमीन भी ना मिली कुएं यार में।  

बहादुर शाह जफर का भारत के इतिहास में सदैव ही अमर और अमित स्थान रहेगा।

      4. बेगम हजरत महल,,,,,, बेगम हजरत महल भारत के स्वतंत्रता संग्राम की महान स्वतंत्रता सेनानी हैं। उनके मुख्य सेनापति और सरदार राव बख्श सिंह, चंदा सिंह, गुलाब सिंह, हनुमंत सिंह आदि हिंदू सरदार थे। दूसरे राजा महाराजाओं की तरह, बेगम हजरत महल भी अगर चाहती तो अंग्रेजों से समझौता कर सकती थीं। मगर उन्होंने भारत की आजादी का झंडा झुकने नहीं दिया, उन्होंने लड़ना स्वीकार किया, बेवतन होना स्वीकार किया मगर उन्होंने हार नहीं मानी और अंग्रेजों से आजादी की जंग में परिस्थितियां विपरीत होने पर भारत की आजादी  के लिए लड़ते-लड़ते नेपाल चली गईं। मगर उन्होंने कभी भी अग्रेजो से समझौता नहीं किया, आत्मसमर्पण नहीं किया। वे भारत के स्वतंत्रता संग्राम की महान महानायिका हैं। भला भारत की स्वतंत्रता प्रेमी जनता अपनी इस महान स्वतंत्रता सेनानी नायिका को कभी भी कैसे भूल सकती है?

      5. मुजफ्फर अहमद,,,,,,, मुजफ्फर अहमद भारत के स्वतंत्रता संग्राम के महान सेनानी हैं। वे मेरठ षड्यंत्र केस के हीरो थे। उन्होंने अंग्रेजों से संधि नहीं की, समझौता नहीं किया और अंग्रेजों से लड़ना स्वीकार किया। अंग्रेजों ने उन पर षड्यंत्र  का मुकदमा चलाया। उस मुकदमे में उन्हें सबसे ज्यादा आजीवन कारावास की सजा दी गई और उन्हें अंडमान निकोबार काला पानी की सजा दी गई। उस मुकदमें के दौरान मुजफ्फर अहमद ने बहुत ही मार्के का बयान दिया था कि,,,,,” मैं क्रांतिकारी कम्युनिस्ट हूं। हमारी पार्टी कम्युनिस्ट इंटरनेशनल की नीति, सिद्धांत और कार्यक्रम में पूरा विश्वास करती है। क्योंकि भारत के मजदूर किसान, अंग्रेजी साम्राज्यवाद को उखाड़ फेंकने और सत्ता पर कब्जा कर लेंगे, लुटेरे अंग्रेज राज्य के वर्तमान स्वरूप को चूर चूर कर देंगे और उसके स्थान पर वास्तविक जनतंत्र पर आधारित किसानों मजदूरों का गणराज्य स्थापित करेंगे। हिंदुस्तान की कम्युनिस्ट पार्टी का सबसे पहला कर्तव्य है कि वह ट्रेड यूनियनों के अंदर क्रांतिकारी कार्य करे, ताकि भारत पूर्ण रूप से आजाद हो सके।” इस महान क्रांतिकारी और स्वतंत्रता सेनानी को भारत की जांबाज जनता कभी भी नहीं भूल सकती है।

       6. अशरफ उल्लाह खान,,,,, भारत की आजादी की लड़ाई के, अशरफ उल्लाह खान महान सितारे हैं। वे एक बहुत बड़े जमींदार के बेटे थे। बहुत बड़े शायर थे, मगर भारत की संपूर्ण आजादी के लिए वे हिंदुस्तान गणतंत्र संघ में शामिल हो गए और अंग्रेज़ों के खिलाफ सशस्त्र क्रांति का मार्ग अपनाया। वे महान क्रांतिकारी बिस्मिल के सबसे नजदीकी दोस्त थे। अशरफ उल्लाह खान ने जनता से कहा था कि “भारत की जनता जैसे भी हो, क्रांति करें, क्रांति के द्वारा आजादी प्राप्त करें और किसानों मजदूरों का राज कायम करें।” फांसी पर चढ़ने से पहले बिस्मिल के साथ मिलकर, उन्होंने तमाम हिंदुस्तानियों के नाम एक अपील जारी की थी जिसमें उन्होंने कहा था कि “भारत की जनता जैसे भी हो, हिंदू मुस्लिम एकता कायम रखे। यही हमारे लिए सबसे सच्ची श्रद्धांजलि होगी।” क्रांति के इस महान क्रांतिकारी सितारे को भारत की जनता कैसे भूल सकती है?

      इस प्रकार हम देखते हैं कि हमारे उपरोक्त हिंदुस्तानी मुसलमान नायक, भारतीय इतिहास के चमकते सितारे हैं, सदैव जगमगाते हुए हीरे मोती हैं। हमारे ये तमाम हीरे मोती, हिंदुत्ववादी मुस्लिम विरोधी प्रचार और नफरती मुहिम के बावजूद भी, भारत की जनता के, आने वाली पीढ़ियों के दिलों दिमाग में हमेशा मौजूद रहेंगे। मुसलमान होने के बावजूद ये महान नक्षत्र हमरी नजरों से ओझल नहीं हो सकते हैं। अपने महान कारनामों और बलिदानों के कारण ये हस्तियां, भारतीय इतिहास के अमिट और सदैव चमकते सितारे बने रहेंगे।

    आज ऐसे माहौल में जब भारत की सरकार अपनी 10 साल की नाकामियों को छुपाने के लिए मुसलमान विरोधी ध्रुवीकरण पैदा करके वोट पाना चाहती है और सत्ता में बने रहना चाहती है और वह कोई  कारगर चुनावी कार्यक्रम लेकर जनता के बीच में नहीं जा रही है। ऐसे समय में भारत प्रेमी समस्त जनता का यह सबसे बड़ा कर्तव्य है कि वह इन मुस्लिम नायकों की कार्य प्रणाली को लेकर, उनके इरादों और महान कारनामों को लेकर जनता के बीच में जाएं, उसे उनके बारे में जानकारी दें और सरकार की सत्ता में बने रहने की मुसलमान विरोधी ध्रुवीकरण की नफरत की राजनीति का करारा जवाब दे और भारत के संविधान, जनतंत्र और सामाजिक न्याय की रक्षा करने के लिए मैदान में उतरें। भारत की जनता समेत हम सब का आज यही सबसे बड़ा काम है।

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