दिव्यांशी मिश्रा
वह मेरी एक दोस्त की चाची थीं । पति एक विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में प्रोफेसर थे । रिटायरमेंट के बाद भी विश्वविद्यालयों के हिन्दी विभागों में अच्छी-खासी पूछ थी।
निजी जीवन में नेम-धरम निभाने वाले कठोर कुलीन ब्राह्मण थे, सार्वजनिक जीवन में शहर के भाजपाइयों से निकटता थी और साहित्यिक जीवन में लोग उन्हें हल्का-फुल्का जनवादी भी मानते थे। लड़के दो थे और दोनों ही अच्छी नौकरियों में व्यवस्थित हो चुके थे।
अचानक एक दिन मेरी दोस्त का फ़ोन आया कि चाचीजी को दिल का गंभीर दौरा पड़ा है और वह लारी कार्डियोलॉजी सेण्टर (लखनऊ) में भर्ती हैं। चूँकि बचपन से मैं भी उनके घर आती-जाती रही थी, इसलिए दोस्त के साथ उन्हें देखने मैं भी अस्पताल पहुँची।
कुछ देर बाद चाचीजी होश में आईं। फिर सबको उन्होंने पास बुलाया और मद्धम सी आवाज़ में बोलना शुरू किया :
“मेरा शादीशुदा जीवन बेहद शान्ति और सौहार्द्र भरा रहा । इसका मूल मंत्र यह था कि मैं हमेशा यह मानकर चलती थी कि मेरा पति जो भी सोचता और करता है, सही सोचता और करता है । उसकी मूर्खताओं को मैं महज़ इत्तेफ़ाक़ और असफलताओं को बदकिस्मती मानती थी।
उसकी सारी कुटिलताओं, बदमाशियों को मैं उसकी मजबूरी मानती थी और उसके अत्याचारों और नीचताओं के बारे में न सोचने की आदत डाल ली थी । और दूसरी बात, मैंने ख़ुद सोचने और तर्क करने की आदत ही छोड़ दी थी।”
फिर वह अचानक पति की ओर मुड़कर बोलीं :
“इस तरह मैंने एक तरह से अपनी आत्मा का गला घोंट दिया । और कोई भी रास्ता नहीं था क्योंकि मैं कायर थी। शादी के बाद की पहली ही रात मुझे लगा जैसे कोई घुरघुराता हुआ सूअर मेरे ऊपर चढ़ा हुआ है। मेरे भीतर न तुम्हारी जान लेने की हिम्मत थी, न अपनी जान देने की और न भाग पाने की । एक ही रास्ता था और मैंने वही किया।
इसत रह हम लोग आदर्श दम्पति बन गये । अगर मैं ऐसा नहीं करती तो ज़िन्दगी भर तुमसे उतनी ही नफ़रत करती जितना एक खुजली वाले कुत्ते से, सड़े घावों वाले बंदर से या पाखाने में लिथड़े सूअर से करती। लगातार यह भी सोचती रहती कि एक सूअर के साथ सोकर मैंने दो सूअर जने हैं।”
इतना कहने के बाद वह अपने पति की ओर उँगली दिखाती हुई ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगीं, हँसते-हँसते दोहरी हो गयीं, फिर पैर पटक-पटक कर हँसने लगीं।
कुछ देर में उनकी साँसें उखड़ने लगीं, पर वह किसी के काबू में नहीं थीं। फिर उन्हें ज़ोर की खाँसी आई और उनका बेजान शरीर बिस्तर पर लुढ़क गया।