, मुनेश त्यागी
अन्याय नहीं न्याय चाहिए
असमानता नहीं समता चाहिए।
धर्मांधता नहीं विज्ञान चाहिए
मनुस्मृति नहीं संविधान चाहिए।
नफरत नहीं प्यार चाहिए
बटवारा नहीं एकजुटता चाहिए।
अज्ञानता नहीं ज्ञान चाहिए
अंधविश्वास नहीं विज्ञान चाहिए।
मंदिर नहीं स्कूल चाहिए
भगवान नहीं विज्ञान चाहिए।
जुमलेबाजी नहीं रोजगार चाहिए
पूंजीवाद नहीं समाजवाद चाहिए।
धर्मतंत्र नहीं लोकतंत्र चाहिए
दलाली नहीं मजदूरी चाहिए।
भीख नहीं अधिकार चाहिए
गुलामी नहीं आजादी चाहिए।
मेहरबानी नहीं हक चाहिए
दुश्मनी नहीं भाईचारा चाहिए।
दिखावा नहीं हकीकत चाहिए
धर्मांधता नही धर्मनिरपेक्षता चाहिए।
अंधविश्वासियों की धर्म संसद नहीं
जनता की जिंदा संसद चाहिए।
अव्यवस्थित कुंभ और कावड़ नहीं
ज्ञान ओ विज्ञान के कॉलेज चाहिए।
दो तरफा नहीं इंसान चाहिए
जैसा अंदर वैसा बाहर चाहिए।
शोषित पीड़ित और गरीब नहीं
खुशियों भरा हिंदुस्तान चाहिए।