अग्नि आलोक
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तुम्हें आना चाहिए था हाशिये पर

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शहर के हाशिए पर
गणित का जोड़ घटाव, गुणा, भाग,
प्रतिशत, औसत के रबड़ से मिटाया हुआ हिसाब
एक धब्बा छोड़ जाता है
जिसके आधार पर निकलता है निष्कर्ष

अंकगणित दुरुह व्याकरण नहीं है
योग, फल और वियोग फल की बात है बस
संधि विच्छेद की तरह
कौन कौन सी संधियों में
दुरभिसंधि बनने की संभावना रहती हैं
मातृ गर्भ से विच्छेद के समय ही
तय हो जाता है

ख़ैर,
विच्छेद से उच्छेद तक की यात्रा में पड़ाव
फटे हुए टाट की छांव में मिलती है
जहां, सीवर के पाताल लोक से ज़िंदा लौटा
मंगरुआ अभी अभी लेटा है
भात की हाँड़ी के मुंह तक झाग आने तक

करैत के काटने के चार घंटे तक
लोग नींद में ही रहते हैं
ऐसा सुना है

वियोग फल अछूत है
या योग फल
इस बहस में कट गई है
जाने कितनी जेठ की दुपहरी

किसी भी निष्कर्ष पर आने के पहले
तुम्हें आना चाहिए था हाशिये पर
बिना लाव लश्कर के
और, श्मशान से लौट कर
शुद्धीकरण की तुलसी को
आंगन से उखाड़ कर
(तुलसी उखाड़ने में हाथ थोड़ा घायल भी होता है कभी कभी)
और गंगा जल की शीशी को तोड़ कर

गंगा आवर्जना ढोते हुए अछूत नहीं हुई आज तक
लेकिन, मंगरुआ सीवर साफ़ कर के अछूत हो गया

मुझे तो हर अछूत में दिखता है
गंगा पुत्र
अपनी ही प्रतिज्ञा में बंधा
अन्याय का साथ देता
शर शैय्या पर लेटा
गंगा की प्रतीक्षा में
गंगा पुत्र

इच्छा मृत्यु वरदान हो भी सकता है
अगर युद्ध हक़ के लिए लड़ा जाए

उठ रे मंगरुआ
शाम तक सोएगा तो
रात भर जागेगा
फिर, सुब्ह कब आएगी ?

धनी राम का मुर्ग़ा
बांग देते हुए
थक कर अपने दरबे में घुस जाएगा

  • सुब्रतो चटर्जी

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