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सरकार की नाकामियां मजबूर कर रही हैं गरिमा विहीन भाषा बोलने पर

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मुनेश त्यागी

      वर्तमान चुनावों में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घटिया स्तर की गरिमा विहीन भाषा को सुनकर देश-विदेश के लोग आश्चर्य चकित हैं। उन्हें यकीन ही नहीं हो रहा है की भारत जैसे देश का प्रधानमंत्री अपने विपक्षियों के लिए ऐसी असंवैधानिक और मर्यादाविहीन भाषा का प्रयोग कर सकते हैं। भारत के प्रधानमंत्री पिछले कई दिनों से इंडिया गठबंधन के नेताओं और भारत के अल्पसंख्यकों के लिए बेहद घटिया भाषा का प्रयोग कर रहे हैं।

      यहां पर भारत के प्रधानमंत्री द्वारा अपनी चुनावी सभाओं में विपक्षी इंडिया गठबंधन के लिए प्रयोग की जा रही भाषा पर एक नजर डालना बहुत जरूरी है। पिछले दिनों अपने चुनावी भाषणों में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ,,,,कांग्रेस और सपा ने तुष्टिकरण की राजनीति में मुसलमान के लिए कुछ भी नहीं किया। ,,,,,कांग्रेस के लोग हमारी माता बहनों का मंगलसूत्र छीनना चाहता है।,,,, इंडी गठबंधन हमारी माता बहनाओं के स्त्री धन पर नजर रखे हुए हैं और अगर इंडिया गठबंधन की सरकार सत्ता में आ गई तो वह उनके घरों की दीवारों का एक्सरे करायेगी, उनके तमाम सोने चांदी के गहने, धन और यहां तक की मंगलसूत्र भी छीन लेगी।

     उन्होंने कहा कि ,,,,इंडिया गठबंधन के लोगों की जनता के धन पर नजर है और देश की संपत्ति को लूटना कांग्रेस अपना जन्मसिद्ध अधिकार समझती है। अगली मीटिंग में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि,,,,, कांग्रेस “घुसपैठियों” को, जिनके अधिक बच्चे हैं, को देश का धन बांट देगी। उन्होंने कहा कि,,,, कांग्रेस कम्युनिस्ट विचारधारा देश पर लादना चाहती है। कांग्रेस घुसपैठियों यानी देश के मुसलमानों को  आपका धन दौलत और संपत्ति बांट देगी।,,, कांग्रेस का घोषणा पत्र माओवादियों की सोच को धरती पर उतारने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने आगे कहा कि,,,, जिनके ज्यादा बच्चे हैं उनको कांग्रेस जनता का धन दे देगी,,,, उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस पार्टी वामपंथियों के शिकंजे में फंस गई है,,,,, फिर कहा कि इंडिया गठबंधन अपने भ्रष्टाचार को बचाने के लिए एकजुट हुआ है,,,,, फिर कहा कि यूपी में दो शहजादों की शूटिंग चल रही है,,,, अपने अगले भाषण में उन्होंने कहा कि ,,,,हम काले धन से मुक्ति के लिए हम चुनावी बांड लाए थे।”

      प्रधानमंत्री के इन भाषणों को सुनकर देश की अधिकांश जनता हताश, निराश और अचम्भित है। कांग्रेस ने प्रधानमंत्री के भाषणों की बाबत चुनाव आयुक्त से शिकायत की है कि मोदी को अयोग्य घोषित किया जाए, वे देश की जनता में नफरत और दुश्मनी पैदा कर रहे हैं। भारत की कम्युनिस्ट पार्टियों सीपीआई और सीपीआईएम ने प्रधानमंत्री के इन भाषणों को मॉडल कोड आफ कंडक्ट की नीतियों के खिलाफ बताया है, जिनसे देश और समाज में मुसलमानों के खिलाफ नफ़रत फैलने का गंभीर खतरा पैदा हो गया है और चुनाव आयोग से मोदी के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई करने की मांग की है।

      अब यहां पर असली सवाल यह है कि आज हमारे देश की हकीकत क्या है? मोदी की नीतियों की हकीकत क्या है? जब हम मोदी सरकार के शासनकाल के पिछले 10 वर्षों पर एक नजर दौड़ाते हैं तो हम पाते हैं कि मोदी सरकार अपने 10 साल की उपलब्धियां को जनता के सामने नहीं ला रही है। वह जनता को नहीं बता रही है कि उसने अपने पिछले 10 साल में क्या किया है? वह नहीं बता रही है कि उसने बेरोजगारों, छात्रों, किसानों, मजदूरों, महिलाओं भ्रष्टाचार और महंगाई जैसे अति आवश्यक मुद्दों पर पर क्या किया?

      वह इस बारे में जनता को कुछ भी बताने को तैयार नहीं है। वह किसानों को एमएसपी देने की गारंटी से भाग रही है, वह मजदूरों को न्यूनतम वेतन देने और श्रम कानूनों को लागू करने को तैयार नहीं है, मोदी सरकार 5 करोड़ मुकदमों में सस्ता और सुलभ न्याय देने का कोई रोड मैप जनता के सामने लाने को तैयार नहीं है और वह इस पर आश्चर्य चकित चुप्पी साधे हुए हैं। मोदी सरकार यह बताने को तैयार नहीं है कि उसने पिछले 10 साल में कितने नौजवानों को रोजगार दिया? 2 करोड़ नौकरियां यानी पिछले 10 सालों में 20 करोड़ नौकरियां देने के बारे में सरकार बिल्कुल चुप है, वह इस सबसे अहम् सवाल से लगातार भाग रही है।

      कमर तोड़ महंगाई पर सरकार की कोई नीति या पहल जनता के सामने नहीं है। सरकार ने महंगाई रोकने के लिए क्या-क्या कदम उठाए, कितने मुनाफाखोरों और महंगाईखोरों  के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की, कितने महंगाई बढ़ने वालों को जेल भेजा, इस बारे में वह जनता को कोई जानकारी देने को तैयार नहीं है। चुनावी बोंड के खुलासों ने सिद्ध कर दिया है कि मोदी सरकार दुनिया की सबसे भ्रष्टाचारी सरकार बन गई है। सरकार ने ज्ञान विज्ञान की संस्कृति पर हमले करके भारतीय समाज  को अंधविश्वास और धर्मांधता के महासागर में डुबो दिया है। अब हमारी अधिकांश आम जनता अपनी बुनियादी समस्याओं के समाधान के लिए ज्ञान विज्ञान और सरकार की नीतियों पर कोई विचार या सवाल नहीं कर रही है, बल्कि वह अब अपनी समस्याओं का हल देवी देवताओं के मूर्ति पूजन और अंधविश्वासी कर्मकांडों में ढूंढने को मजबूर हो रही है।

       आज हकीकत यह है कि भारत के प्रधानमंत्री मोदी के भाषणों ने देश और दुनिया में भारत की छवि को सबसे खराब और घटिया स्तर पर पहुंचा दिया है। अंध भक्तों को छोड़कर पूरे देश और समाज के लोग मोदी का मखौल उड़ा रहे हैं, उन्हें देश का सबसे घटिया स्तर का प्रधानमंत्री कह रहे हैं और वे उनकी लगातार हंसी और खिल्ली उड़ा रहे हैं। इन तमाम लोगों का कहना है कि भारत के प्रधानमंत्री चुनाव के समय अपनी उपलब्धियां का बखान न करके जनता में हिंदू मुस्लिम नफरत फैला कर वे समाज का सांप्रदायिक माहौल खराब कर रहे हैं और जनता में भाषाई ज़हर घोल रहे हैं। उनका कहना है कि मोदी सरकार की पिछले 10 साल की जनहित में कोई उपलब्धियां नहीं हैं।

     मोदी सरकार ने शिक्षा, रोजगार, भ्रष्टाचार और कमरतोड़ महंगाई में कोई सुधार नहीं किया है, उनके पास जनता को बताने के लिए कुछ भी नहीं है, इसलिए वे इस घटिया स्तर की भाषा का प्रयोग कर रहे हैं। भारत के प्रधानमंत्री मोदी इंडिया गठबंधन की कामयाबी और उसके घोषणा पत्र से बौखला गए हैं, उनके होशो हवास उड़ गए हैं, इसलिए वे अब इस गरिमा विहीन भाषा का प्रयोग करने पर उतर आए हैं।

      यहीं पर कुछ सवालों पर गौर करने की जरूरत है जैसे प्रधानमंत्री मोदी इंडिया गठबंधन को लेकर जनता के सामने जो बातें रख रहे हैं उनका तो इंडिया गठबंधन के घोषणा पत्र में कोई जिक्र ही नहीं है क्योंकि प्रधानमंत्री और उनकी पार्टी व सरकार ने जनता के लिए पिछले 10 साल में कोई कारगर काम नहीं किया है। उन्होंने मुख्य रूप से जो कुछ भी किया है वह अपने चांद पूंजीपति दोस्तों के हितों को आगे बढ़ाने के लिए किया है। यह उनकी ऐसी उपलब्धि है कि जिसे वे जनता के सामने बखान नहीं कर सकते, इसलिए इंडिया गठबंधन के घोषणा पत्र से वह बौखला गए हैं, जैसे इंडिया गठबंधन के घोषणा पत्र की नीतियों से वे अपनी शुध बुध खो बैठे हैं इसलिए वे ऐसी भाषा का प्रयोग कर रहे हैं।

     यहीं पर एक और अहम सवाल उठ रहा है कि मोदी की सरकार और उनकी पार्टी भारतीय जनता पार्टी ने भी अपना घोषणा पत्र जारी किया है। आखिर वे अपने घोषणा पत्र पर क्यों बात नहीं कर रहे हैं? इसका सीधा-सीधा कारण है कि उनके घोषणा पत्र में सिर्फ जुमलेबाजी है, सिर्फ खाली और झूठी गारंटियों का हवाला दिया गया है। जनता मोदी जी की इन गारंटियों से ऊब चुकी है, जिन पर जनता अब और ज्यादा एतबार करने को तैयार नहीं है और भारत की पीड़ित जनता ने, धोखा खाई हुई और लुटी पिटी जनता ने मोदी सरकार के घोषणा पत्र को सिरे से खारिज कर दिया है। इस कारण मोदी और उनकी सरकार लगातार बौखलाती जा रही है और वे घटिया स्तर की भाषा पर उतर आए हैं।

      आजकल प्रधानमंत्री मोदी अपने भाषणों में वामपंथियों पर बड़ा हमला कर रहे हैं। वे बार-बार कह रहे हैं की इंडिया गठबंधन ने वामपंथी नीतियों को अपना लिया है। यहीं पर सवाल उठता है कि आखिर मोदी जी को वामपंथियों से क्या समस्या है और क्या नाराजगी है? भारत के वामपंथी तो देश की समस्त जनता,,,, किसानों, मजदूरों, छात्रों, नौजवानों और महिलाओं के लिए काम करते हैं, उन सबका कल्याण चाहते हैं। भारत के वामपंथी सबको शिक्षा, सबको काम, सबको स्वास्थ्य, सबको रोजगार की मांग कर रहे हैं और उसके लिए आंदोलन कर रहे हैं।

      भारत के वामपंथी भारत के संविधान को बचाने की, जनतंत्र को बचाने की, भारत की धर्मनिरपेक्षता को बचाने क, सबको समाजवादी न्याय और भारत के भाईचारे को बचाने की सबसे ज्यादा मांग और आंदोलन कर रहे हैं और उनकी मुहीम चला रहे हैं। भारत के वामपंथी देश के समस्त लोगों को सामाजिक न्याय की बात कर रहे हैं। वे देश के गरीबों की, छात्रों की, नौजवानों की, महिलाओं की, किसानों मजदूरों की सुरक्षा की बात कर रहे हैं। भारत के वामपंथी भारत के उस संविधान को बचाना और सुरक्षित रखना चाहते हैं जिसमें शहीद-ए-आजम भगत सिंह और उनके साथियों ने और बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के सपने निहित हैं। तो आखिर भारत के प्रधानमंत्री मोदी को इससे क्या समस्या है? वे इससे इस क़दर नाराज क्यों है? प्रधानमंत्री मोदी की नाराजगी का एक कारण यह भी है कि शहीद-ए-आजम भगत सिंह के विचारों और डॉ अंबेडकर के द्वारा बनाए गए संविधान के रहते, भारत में मनुवादी सिद्धांत लागू नहीं हो सकते, वे इसीलिए इंडिया गठबंधन और वामपंथियों के खिलाफ आग उगल रहे हैं।

      भारत के प्रधानमंत्री मोदी को इंडिया गठबंधन और वामपंथी पार्टियों के घोषणा पत्र में जारी की गई मांगों और नीतियों से समस्या पैदा हो गई है क्योंकि मोदी सरकार के पास इंडिया गठबंधन के घोषणा पत्र और वामपंथी पार्टियों की घोषणा पत्र की नीतियों और कार्यक्रमों का कोई तोड़ नहीं है, इसलिए प्रधानमंत्री अब जनता के सामने इस गरिमा विहीन, असंसदीय और असंवैधानिक भाषा का प्रयोग कर रहे हैं, जिसे भारत की जनता कतई भी माफ करने को तैयार नहीं है और ना ही माफ करने नहीं जा रही है और वह इन चुनावों में सरकार की जन विरोधी नीतियों पर चोट करेगी और उसने मूड बना लिया है कि वह अब इस जन विरोधी, संविधान विरोधी और जनतंत्र विरोधी सरकार को सत्ता से बाहर करके ही दम लेगी। अब उसने ठान ली है कि वह भारत के संविधान को बचाएगी, जनतंत्र को बचाएगी, भारत की मिली जुली संस्कृति को बचाएगी और देश को बचाएगी।

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